आज भी जिंदगी का पता खोजती भारतीय नारी
पता जिन्दगी का
पता जिन्दगी का मुझे तुम बता दो
मेरी राहों पर पसरे अँधेरें मिटा दो
है न जाने कहाँ खो गई ज़िन्दगी
मेरी जिन्दगी का ठिकाना बता दो
जिन्दगी बन गई मौत है अब मेरी
जिंदगी से मेरी जिंदगी को घटा दो
भँवर बीच कश्ती बही जा रही है
जगह डूबने की मुझे तुम बता दो जहाँ जा के वापस न लौटा कोई
साथ डूबें जहाँ वो ज़गह अब बता दो
खत्म सांसें हैं बस एक पता पूछतीं
कफ़न के मुझे सब ठिकाने बता दो
मधु"मुस्कान"
कोमल भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमन के भावनाओं की उम्दा प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : समाधान समस्याओं का,
behad sundar Rachna ...wahhhh
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/
बेहद मर्मस्पर्शो और भावनाओं से आच्छादित प्रस्तुति$$$$^^^^^^$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ भँवर बीच कश्ती बही जा रही है
जवाब देंहटाएंजगह डूबने की मुझे तुम बता दो
जहाँ जा के वापस न लौटा कोई
साथ डूबें जहाँ वो ज़गह अब बता दो
साथ डूबें जहाँ वो ज़गह अब बता दो
साथ डूबने की जगह तो पता नहीं ...
साथ तैरने की जगह यही है ... !
आदरणीया मधु जी
:)
अच्छा है , ...और श्रेष्ठ लिखें यही कामना है ।
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार