आज मै बहुत खुश हूँ
इसलिए की आज मैंने
वह सब देख और सुन लिया
कि कैसे आज आखिरकार
आज के एकलव्य ने अपने गुरु
द्रोणाचार्य से बदला ले ही लिया
और इतिहास के मुह पर
एक जोरदार तमाचा जड़
महाभारत में अपनी उपस्थिति
दर्ज कर कर उसने
द्रोणाचार्य को अपने इरादों को
साफ साफ बतला दिया
न अंगूठा दिया और न ही अंगूठा दिखाया(1)
बल्कि उनका अंगूठा ही काट
उन्हें ठेंगा दिखा चलदिया
और इस नए अंदाज में
महाभारत के इतिहास में उसने
अपनी अनुपस्थिति का बदला ले
कलयुगी द्रोडाचार्यों को
अंगूठे की राजनीती के खरनाक
अंजाम का पाठ पढ़ा गया
मधु "मुस्कान "
(1) अज़ीज़ जौनपुरी ने अंगूठा दिखाने का उल्लेख किया है
( लखनऊ से यह प्रस्तुति आप के मध्य मेरे शीघ्र आगमन का संकेत है )
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर भावप्रणव प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंअनूठी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज की हकीकत को उजागर करती जोरदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बेहद गंभीर और आक्रामक प्रस्तुति, द्रोनाचार्यों को एकलव्य के बिद्रोह का खुला संकेत
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