हुआ जो हादसा कल उस जगह घर के भीतर
देख उसको हम सभी आज सब शर्माने लगे हैं
देख उसको हम सभी आज सब शर्माने लगे हैं
किस से सिकायत हम करें जिंदगी के हादसों की
अब चोर,जज़ सभी के हाथ खंजर लहराने लगे हैं
नकाब उसका जब हटाया गया भरी अदालत में
जज अदालत के सभी अपने चेहरे छुपाने लगे हैं
अपनों को कभी उसने जब आज तक बक्शा नहीं
अब चोर,जज़ सभी के हाथ खंजर लहराने लगे हैं
नकाब उसका जब हटाया गया भरी अदालत में
जज अदालत के सभी अपने चेहरे छुपाने लगे हैं
अपनों को कभी उसने जब आज तक बक्शा नहीं
फिर गैरों की बात पर क्यों आप बहकाने लगे हैं
अपनों के कत्ल के इलज़ाम ख़ुद पर ही लगे हों
अपनों के कत्ल के इलज़ाम ख़ुद पर ही लगे हों
तुगलकी चाल फिर हम उसे क्यों बतलाने लगे हैं
लावारिस पड़ी हैं आज लाशें हर घरों में बेशुमार
लावारिस पड़ी हैं आज लाशें हर घरों में बेशुमार
हम बारूद के घर अपना ख़ुद ही बनाने लगे है
मधु"मुस्कान"
मधु"मुस्कान"
वाह !!
जवाब देंहटाएंपूरी ग़ज़ल एक हकीकत...बधाई !!
बहुत सुन्दर ग़ज़ल!
जवाब देंहटाएंवाह मधु जी क्या लाजवाब ग़ज़ल सब के सब अशआर खूबसूरत हैं दाद कुबूल करें
जवाब देंहटाएंबहुत खूब मधु दी ,वेहद तल्ख़ सच्चाई से रूबरू कराती ग़ज़ल ,इस ग़ज़ल के स्वागत में पेश है ******^^^^^*******जिन्दगी से मौत भी है अब डरने लग गयी है ,घर,घरौंदे ,ख्वाब सारे अपनों ने ही उजड़े हैं "नकाब उसका जब हटाया गया भरी अदालत में
जवाब देंहटाएंजज अदालत के सभी अपने चेहरे छुपाने लगे हैं
अपनों को कभी उसने जब आज तक बक्शा नहीं
फिर गैरों की बात पर क्यों आप बहकाने लगे हैं
अपनों के कत्ल के इलज़ाम ख़ुद पर ही लगे हों
तुगलकी चाल फिर हम उसे क्यों बतलाने लगे हैं
लावारिस पड़ी हैं आज लाशें हर घरों में बेशुमार
हम बारूद के घर अपना ख़ुद ही बनाने लगे है......"