खंजर
लेकर मशाले हाथ में, घर से निकलना चाहिए
अब बेटिओं को मौत से लड़ना सिखाना चाहिए
जल रही है जिंदगी, ज़ज्बातों को जगाना चाहिए
अब बेटिओं के हाथ में खंज़र थम्हाना चाहिए
जल रहीं हैं बेटियाँ, मुल्क के, हर गली ,हर गाँव में
हैं जो जलाते बेटियाँ अब उनको भी जलाना चाहिए
बेटियाँ, हैं जलाई जा रहीं अब यातना की आग में
अब इस मुल्क की आबो-हवा को बदलना चाहिए
जो दरिन्दे बेटिओं को हैं जलाते हवस की आग में
जिस्म उनके काट उनको सूली पर चढ़ाना चाहिए
जिस्म उनके काट उनको सूली पर चढ़ाना चाहिए
मधु" मुस्कान"
वर्तमान परिस्थिति को यर्थाथ बयाँ करती संवेदनशील प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंलेकर मशाले हाथ में, घर से निकलना चाहिए
जवाब देंहटाएंअब बेटिओं को मौत से लड़ना सिखाना चाहिए
बेहतरीन अंदाज में लिखी गयी नायब रचना @@@@@@@वर्तमान परिप्रेक्ष में एक सार्थक प्रस्तुति ,बड़े ही उग्र तेवर में, उग्र होना भी चाहिए जल रही है जिंदगी, ज़ज्बातों को जगाना चाहिए
अब बेटिओं के हाथ में खंज़र थम्हाना चाहिए
जल रहीं हैं बेटियाँ, मुल्क के, हर गली ,हर गाँव में
हैं जो जलाते बेटियाँ अब उनको भी जलाना चाहिए