स्वागत कैसे करें नव वर्ष का ?
है लमहा लमहा पूछ्ता कैसे गुज़रा साल
था खूँन से रंगा हुआ माँ का बीता साल
हाथ सनें थे खून से मत पूछो तुम हाल
आँखें में ही झांक तुम पढ़ लो बिता साल
जख्म,हुए नासूर सब झुका देश का भाल
लाश बनी इंसानियत बदल गई सब चाल
कल ही देखो क्या हुआ क्या बतलाऊ हाल
बेटी तो मर गई माँ ममता दोनों हुई बेहाल
उम्मिदों की पोटली लिए कैसे बदलें साल
उधड़ गई जब बेटिओं की देखो सारी खाल
मधु "मुस्कान"
सही कहा...जब मन दुखी हो तो नव वर्ष का स्वागत कैसे किया जा सकता है !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील और पीड़ा देती प्रस्तुति ,"मत कहो कुछ उस समय ,जब आग घर में लगी हो ,जब घर हमारे जल रहे हों बेटियां हो जल रहीं ...."आगत वर्ष का स्वगत न करना ही सही लग रहा है ,सुंदर प्रस्तुति हेतु मधु जी हार्दिक बधाई
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जवाब देंहटाएंदिनांक 31/12/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
ह्रदय के भीतर दुखित भावनाओं का सुन्दर चित्रण किया है आपने आदरणीया हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना, सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंकैसे कहूं नया साल मुबारक !
मधु जी बहुत खूब ,कैसे कहूँ नव वर्ष यह सब को हो मुबारक ,
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति,बेहतरीन भाव ****जख्म,हुए नासूर सब झुका देश का भाल
जवाब देंहटाएंलाश बनी इंसानियत बदल गई सब चाल
कल ही देखो क्या हुआ क्या बतलाऊ हाल
बेटी तो मर गई माँ ममता दोनों हुई बेहाल
उम्मिदों की पोटली लिए कैसे बदलें साल
उधड़ गई जब बेटिओं की देखो सारी खाल
दर्दनाक सच्चाई पर उम्मीद कायम रखनी है. सुन्दर प्रस्तुति. ऐसे हालत में नए साल की क्या शुभकामना दूं. बस इनती आशा की वो २०१२ सा ना हो.
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंwelcome to my new post: शहरे-हवस
हर दिल में लगी आग यूँ ही जलती रहें और कुछ नया होगा आने वाले नए साल में ...इसी उम्मीद से नव वर्ष की शुभकानाएँ
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