बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

4.Madhu Singh :sanam

           सनम 


      बहुत खूबशूरत  ग़ज़ल  लिख  रहीं हूँ 
      सनम  मै तुम्हारी  सकल पढ़ रहीं  हूँ 


      पढ़- पढ़ तुम्हारी ही  नज़रें  सनम मै 
      भीनी खुशबू मोहब्बत की बयाँ रहीं हूँ 


      लकीरें  नियति की जो  हैं माथे पे तेरे 
      उन  लकीरों  मै  जिन्दगी  पढ़ रही  हूँ 


       खयालों में सपनों में दिल में ज़हन में
       पता जिंदगी का "सनम "लिख रही हूँ


      तरासो,सवारों, सजाओ अब  हमे तुम
      सज़ा  उम्र  भर की  तुम्हे  लिख रही हूँ


      छू -छू  के  सांसों  की  गर्मी  सनम की  
      दिन  रात  बस  यूँ  पिघल  ही  रही  हूँ 


     
                                   
                                    मधू "मुस्कान"


     
    


                                     


      


    


     


   
     

3 टिप्‍पणियां:

  1. शेरों में अच्छे खयालात समेटे हैं.....

    अनु

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  2. behtareen prastuti खयालों में सपनों में दिल में ज़हन में
    पता जिंदगी का "सनम "लिख रही हू


    तरासो,सवारों, सजाओ अब हमे तुम
    सज़ा उम्र भर की तुम्हे लिख रही हूँ


    छू -छू के सांसों की गर्मी सनम की
    दिन रात बस यूँ पिघल ही रही हूँ, vah kya khoob

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  3. बहुत खूब, बड़ी उम्दा ग़ज़ल "छू -छू के सांसों की गर्मी सनम की
    दिन रात बस यूँ पिघल ही रही हूँ "

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