फटा -फट रंग मलूंगी :)
आज सजन संग होली खेलूंगी, जी भर के गालों पे रंग मलूँगी
अपनी बाँहों में लूगी समेट, नहीं होने दूंगी उसे मै निरास मेरो टकलो बलम :) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
सुनो सखी तुम दूर ही रहना नहीं आना सजन के पास
मेरा सजन बड़ा शातिर सखी पकड़ बाँहों में कर लेगा पास
मेरो टकलो बलम :) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
दिखने में सीधा वो लगता बहुत पर है वो शातिर बड़ा बदमास
मेरो टकले बलम से बचना सभी नहीं होने देगा किसी को निराश
मेरो टकलो बलम :) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
रात- रात भर वो गोझे बनाता बातों की भर देता मिठास
गर , बोलूँ जरा कुछ होली की खिसक आता जरा मेरे पास
मेरो टकलो बलम:) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी .......... ............
खाने में नखाड़े बहुत ही दिखाता है कहता वो बैठो तुम मेरे पास
ना -नुकुर कभी वो करने न देता गर गई मैं,है होता बहुत वो उदास
मेरो टकलो बलम:) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
सुन ले सजन आज मेरी भी तूँ नहीं तोडूंगी तेरी मैं आस
आज रहना बहुत होशियार नहीं होने दूंगी तुझे मै निरास
मेरो टकलो बलम :)अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
सभी रंगों से मैं तुमको रंग दूगी सुन, जी भर रचाऊंगी मैं रास
है रंगों का खेल यह होली का सभी रंगों का भर दूंगी मिठास
मेरो टकलो बलम :) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................
तोड़ दिया कँगना औ तोड़ दिया चूड़ी, पोंछ दिया बिंदियाँ हो उदास
(बुरा न मनो बलम आज होली है )
तोड़ दिया कँगना औ तोड़ दिया चूड़ी, पोंछ दिया बिंदियाँ हो उदास
फाड़ चोली मेरी, वो चुपके से निकल पीछे से भागा बदमास
मेरो टकलो बलम :) अरे , फटा - फट रंग मलूँगी ....................(बुरा न मनो बलम आज होली है )
मधु "मुस्कान "