चलो आज एक भूखे को रोटी खिलाएँ
मोहब्बत करें और मोहब्बत सिखाएँ
पड़ी लास माँ की बगल में है उसके
उठा उस अभागे को अपने सीने लागाएँ
माँ मर गई सिर्फ़ एक रोटी की खातिर
चलो आज उसको अपना बेटा बनाएँ
देखो जरा आज उस बच्चे का चेहरा
उसे कैसे माँ की हकीकत बताएँ
उसे कैसे माँ की हकीकत बताएँ
है कैसे वो माँ पे अपनी नज़रें टिकाये
दुनियाँ के किस्से ह्म उसे क्या बताएँ
उसे क्या पता अब न बोलेगी माँ
दुनियाँ के किस्से ह्म उसे क्या बताएँ
उसे क्या पता अब न बोलेगी माँ
क्या हम कहें ,उसको क्या हम बताएँ
रह - रह के कैसे वह रुदन कर रहा है
अब न चूमेगी माँ उसको कैसे बताएँ
है लाश से माँ के जो वो चिपका हुआ
माँ के सीने से उसको हम कैसे हटाएँ
जल गई जो अभागन भूख की आग में
उस के बच्चे को अपना बच्चा बनाएँ
माँ की ममता का आँचल जुदा हो गया
अपनी ममता आँचल उसे हम उढ़ाएँ
अपने आँचल के साये में उसको सुलाएँ
जी भर के उसको हम लोरी सुनाएँ
जब भी देखे हमें वो माँ कह कर बुलाए
सुला अपनी गोदी में थपकी लगाएँ
बड़ा हो के जब वो माँ कह-कह बुलाए
दौड़ कर हम उसको अपनी छाती लगाएँ
कभी उसको यह आभास होने न पाए
वो माँ ही कहे, उसको हम बेटा बताएँ
(मार्च के द्वितीय सप्ताह तक मैं पुनः उपस्थित हो सकूंगी , आप सब को मेरा सादर अभिवादन )
मधु "मुस्कान"
है लाश से माँ के जो वो चिपका हुआ
माँ के सीने से उसको हम कैसे हटाएँ
जल गई जो अभागन भूख की आग में
उस के बच्चे को अपना बच्चा बनाएँ
माँ की ममता का आँचल जुदा हो गया
अपनी ममता आँचल उसे हम उढ़ाएँ
अपने आँचल के साये में उसको सुलाएँ
जी भर के उसको हम लोरी सुनाएँ
जब भी देखे हमें वो माँ कह कर बुलाए
सुला अपनी गोदी में थपकी लगाएँ
बड़ा हो के जब वो माँ कह-कह बुलाए
दौड़ कर हम उसको अपनी छाती लगाएँ
कभी उसको यह आभास होने न पाए
वो माँ ही कहे, उसको हम बेटा बताएँ
(मार्च के द्वितीय सप्ताह तक मैं पुनः उपस्थित हो सकूंगी , आप सब को मेरा सादर अभिवादन )
मधु "मुस्कान"