शुक्रवार, 17 मई 2013

मधु सिंह : गुनाह मत करना



         गुनाह मत करना 


       मैं वक्त हूँ, तुम  मुझसे सवालात  मत करना 
       भूल  कर  भी,  कभी  कोई  गुनाह मत करना
     
       ऐसे  चेहरे  जो ,  पल  भर  में रंग बदल लेते हैं
       ऐसे  चेहरों  पर कभी तुम एतबार  मत करना 

       ख़ुद अपनी  निगाहें  भी  गुनाहगार  कम नहीं 
      तुम आईनों   से  बेवज़ह  तकरार  मत  करना 

       हाथों  पे जिनके  बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें 
       हाथों   की तरफ़  उनके कभी हाथ मत करना 

      छाती  पे   समंदर   के  एक  तहरीर  लिखी है 
      पढने   की  उसे  गौर  से   तू  भूल  मत करना

       जो  घर  के  अंधेरों में,   हो  खामोश  सो गए
      उनसे  जिंदगी के  तुम  सवालात मत करना 

      सच  कह  के आज हम तो   गुनाहगार हो गए 
     भूल  से  भी , सच कहने का गुनाह मत करना 
      
                                             मधु " मुस्कान"

     

   
     
    

     
   
    

     

22 टिप्‍पणियां:

  1. सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
    भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना
    VERY NICE HEART TOUCHING LINES

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  2. सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
    भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना

    लाजबाब ग़ज़ल की प्रस्तुति,आभार.

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  3. सुंदर ग़ज़ल एवं उत्तम पंक्तियाँ -


    जो घर के अंधेरों में, हो खामोश सो गए
    उनसे जिंदगी के तुम सवालात मत करना

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  4. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 19/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  5. ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना,,,, वाह .. खूबसूरत गज़ल!

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  6. जिंदगी की गुनाही और बेगुनाही को दरियाफ्त करती खूबशूरत ग़ज़ल .............."जो घर के अंधेरों में, हो खामोश सो गए
    उनसे जिंदगी के तुम सवालात मत करना

    सच कह के आज हम तो गुनाहगार हो गए
    भूल से भी , सच कहने का गुनाह मत करना

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  7. वाह....
    ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
    बेहतरीन ग़ज़ल...

    अनु

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  8. ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना ...बेहतरीन ग़ज़ल
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
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    latest postअनुभूति : विविधा
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  9. ऐसे चेहरे जो , पल भर में रंग बदल लेते हैं
    ऐसे चेहरों पर कभी तुम एतबार मत करना ..

    बहुत खूब .... लाजवाब शेर का खूबसूरत शेर है ...

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  10. ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना

    बहुत खूब !!!

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  11. हाथों पे जिनके बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें
    हाथों की तरफ़ उनके कभी हाथ मत करना-------


    वाह जीवन जीने के सच को व्यक्त करती अनुभूति
    सुंदर रचना
    बधाई



    पढ़ें "बूंद-"आग्रह है मेरे ब्लॉग में सम्मलित हों
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  12. हाथों पे जिनके बिछी है ,फ़ितरत की लकीरें
    हाथों की तरफ़ उनके कभी हाथ मत करना
    बहुत खूब मधु जी जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दें,
    ऐसा न करना पर यह हमारी फितरत की तौहीन होगी।
    यह गुनाह किसी को नहीं करना चाहिए।

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  13. ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना
    मैं वक्त हूँ, तुम मुझसे सवालात मत करना
    भूल कर भी, कभी कोई गुनाह मत करना
    बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल

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  14. ख़ुद अपनी निगाहें भी गुनाहगार कम नहीं
    तुम आईनों से बेवज़ह तकरार मत करना


    गजल का हरेक शैर काबिले दाद ,भाव संसिक्त रागयुक्त ,मल्हार युक्त .

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  15. बहुत ही खूबसूरत ख्याल पिरोये हैं गज़ल में .....
    बहुत सुंदर

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