रविवार, 17 नवंबर 2013

मधु सिंह : जीवन मरा नहीं करता है

 



जीवन मरा नहीं करता है
     ( नीरज़ का अनुसरण,नीरज़ को समर्पित )


सपने   तो   सपने  होते  है
नहीं   कभी  अपने  होते  हैं
कुछ सपनों के मर जाने से
कुछ सांसो के रूक जाने से
जीवन  मरा  नहीं करता है
बन अश्रुधार बहा करता है||1||

बनते  रोज  बिगड़ते रिश्ते
हँसते   और  रुलाते  रिश्ते
कुछ रिश्तों के मर जाने से
कुछ दीयों  के बुझ जाने से
जीवन  मरा नही करता है
बन अश्रुधार बहा करता है||2||


पग-पग पर घनघोर अँधेरा
तिमिर धरा का बना बसेरा
कुछ  राहों  के  खो जाने से
मंज़िल डगर भटक जाने से
जीवन  मरा  नहीं करता है
बन अश्रुधार  बहा करता है ||3||

कलिओं के कुम्हला जाने से
कुछ पुष्पों  के गिर  जाने से
कुछ  भौरों  के  उड़ जाने से
मधुबन जला नहीं करता है
जीवन  मरा  नहीं करता है
बन अश्रुधार बहा  करता है ||4||

अश्रु  चक्षु  में  दिख जाने से  
कुछ अश्कों के गिर जाने से
चेहरे - चाल  बदल  जाने से
अपनों से  ही  छल जाने से 
जीवन   मरा  नहीं करता है 
बन अश्रुधार बहा करता है ||5||  

 जीवन   तो   जीवन  होता हैं 

खुशिओं  का  उपवन  होता है 
कुछ खुशिओं के छिन जाने से 
कुछ  लमहों के  छल  जाने से
जीवन   मरा  नही  करता है  
बन  अश्रुधार  बहा करता है ||6||

मन की माला  तन का मोती
कभी  टूटता कभी  बिखरता 
तन  - मोती  मुरझा  जाने  से 
मन -माला  के  गिर जाने से 
जीवन   मरा  नहीं करता है 
बन  अश्रुधार  बहा करता है  ||7|

                 मधु "मुस्कान "





             


              




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें