मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

मधु सिंह : महफूज़ चिंगारी रहे




ता- कयामत  हुश्न  की महफ़ूज़  चिंगारी रहे
दिल पे काबिज आपके हुश्न की मुख्तारी रहे

कल ही तो मैंने तुमको आँखों से छू के  देखा
लबों  पे मुस्कुराहट का सिलसिला जारी रहे

मेरी पलकों तले  तुम्हारा  दिल  धड़कता है
दिल पे काबिज़ आपकी हमेसा ज़मींदारी रहे

पत्थर तरास  कर  मैंने एक तस्बीर बनाई है
कह दो हदों को तोड़ कर कायम अदाकारी रहे

खिलने लगे  हैं  फूल  गुलाबों  के जिश्म पर
खुशबू  तुम्हारे जिश्म की ता - उम्र  तारी  रहे


                            मधु "मुस्कान"





















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