अब दर्द ज़िन्दगी का सहा भी नहीं जाता
हया के पर्दे से कुछ कहा भी नहीं जाता
आलम -ए - तन्हाई औ ये बेबसी भी कैसी
के उनके बगैर तन्हां रहा भी नहीं जाता
ख़्वाबों के समंदर में हमने डूब के देखा है
ख्वाबों में न आयें तो रहा भी नहीं जाता
ये इश्क भी खुदा नें क्या चीज़ बनाई है
गर ये इश्क न होता तो रहा भी नहीं जाता
मधु "मुस्कान "
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