कफ़न बुने जा रही हूँ
कफ़न अपना ख़ुद बुने जा रही हूँ
कब कहाँ जल उठे बेटिओं की चिता
कब कहाँ जल उठे बेटिओं की चिता
बन अभागन का आँचल जिए जा रही हूँ
न हया है बची कहीं देश में अब
लाश,बन एक ,ख़ुद को ढुले जा रही हूँ
नियम कानून की धज्जियाँ उड़ रहीं हैं
एक जलती चिता बन जिए जा रही हूँ
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ
सत्य को गरिमा मिले बेटियाँ हीं सत्य हैं
यही अरमा सजोए मैं जिए जा रही हूँ
मधु "मुस्कान"
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जवाब देंहटाएंजन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ,,,,भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति,,,,
recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
भावपूर्ण रचना |"सत्य को गरिमा मिले बेटियाँ ही सत्य हैं "सुन्दर पंक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत भावप्रणव रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
बहुत सुंदर
बहुत ही मार्मिक एव उत्कृष्ट रचना,आभार।
जवाब देंहटाएंकोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जवाब देंहटाएंजन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ
...बहुत सटीक अभिव्यक्ति...रचना मन को छू गयी...
जवाब देंहटाएंहमारे समय का एक विद्रूप और नाबालिग लम्पट सभी दर्द एक साथ लिए है त्यह रचना ,माँ -बाप की दुभांत भी ,
कफ़न बुने जा रही हूँ
बेटिओं के किस्से लिखे जा रहीं हूँ
कफ़न अपना ख़ुद बुने जा रही हूँ
कब कहाँ जल उठे बेटिओं की चिता
बन अभागन का आँचल जिए जा रही हूँ
न हया है बची कहीं देश में अब
लाश,बन एक ,ख़ुद को ढुले जा रही हूँ
नियम कानून की धज्जियाँ उड़ रहीं हैं
एक जलती चिता बन जिए जा रही हूँ
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ
सत्य को गरिमा मिले बेटियाँ हीं सत्य हैं
यही अरमा सजोए मैं जिए जा रही हूँ
जवाब देंहटाएंVirendra Kumar SharmaJanuary 30, 2013 at 3:42 PM
हमारे समय का एक विद्रूप और नाबालिग लम्पट सभी दर्द एक साथ लिए है त्यह रचना ,माँ -बाप की दुभांत भी ,
कफ़न बुने जा रही हूँ
बेटिओं के किस्से लिखे जा रहीं हूँ
कफ़न अपना ख़ुद बुने जा रही हूँ
कब कहाँ जल उठे बेटिओं की चिता
बन अभागन का आँचल जिए जा रही हूँ
न हया है बची कहीं देश में अब
लाश,बन एक ,ख़ुद को ढुले जा रही हूँ
नियम कानून की धज्जियाँ उड़ रहीं हैं
एक जलती चिता बन जिए जा रही हूँ
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ
सत्य को गरिमा मिले बेटियाँ हीं सत्य हैं
यही अरमा सजोए मैं जिए जा रही हूँ
कफ़न अपना बुने जा रही हूँ
@ Benakab
कोख से ही बेबस हो गई बेटियाँ अब
जवाब देंहटाएंजन्म लेने के पहले ही मरी जा रही हूँ ....कटु सत्य उजागर किया आपने
, बढ़िया