दिल्ली की है गजब कहानी
दिल्ली की है गजब कहानी,
अँधा राजा बहरी रानी
अँधा राजा बहरी रानी
सदिओं का इतिहास पुराना,
नहीं आज ए है अनजानी
करो देस बरबाद आज,
है अब यह दिल्ली ने ठानी
बच्चा बच्चा बिलख रहा,
सुन दिल्ली की चोर कहानी
सुन दिल्ली की चोर कहानी
सत्ता मद में चूर आज ,
दिल्ली ने भृकुटी है तानी
दिल्ली ने भृकुटी है तानी
नहीं किसी की अब ए दिल्ली
अंधों गूँगों की एक कहानी
नाक नदारत है दिल्ली की
घ्राण शक्ति की नई कहानी
बदबू लगती खुशबू जैसी
बैठ के सूंघे राजा रानी
दिल्ली में तो आग लगी है
नहीं आँख में इसके पानी
एक नहीं कितने दुस्सासन
सब ने है अपनी ही ठानी
लंका भी है शर्म सार अब
देख नई अब रावण रजधानी
सारे रावण दिल्ली पहुचें
सुनो रोज नई हरण कहानी
माँ ममता निर्वसन हो गई
सूखी आँखे, नहीं है पानी
रोज हरण का खेल हो रहा
अँधा राजा बहरी रानी
कहीं खेल में खेल हो रहा
सब ने है खाने की ठानी
जेल में बैठा है एक राजा
ख़त्म हुई अब राम कहानी
इधर देश की मर्यादा है
उधर तो है निर्वस्त्र कहानी
करें खेल सब "दस जन" मिलकर
गोट बिछाते राजा रानी
आग लगी है देश में सारे
दिल्ली में तो बरसा पानी
बच्चे सारे रो रो कहते
घग्घो रानी कितना पानी
चोर सिपाही एक हो गए
नहीं आँख में इनके पानी
इज्जत रोज यहाँ है लुटती
खेल करें मिल राजा रानी
खोल कान अब बहरे तुम ,आँख खोल रे अंधे
मल ले अपने मुह पे तूँ ,अब कोयला व पानी
करम तूँ अपने देख तो भाई ,मत बन अज्ञानी
जायेगा तूँ नरक में ही अब ,सुन मेरी यह बानी
मधु "मुस्कान"""
अंधों गूँगों की एक कहानी
नाक नदारत है दिल्ली की
घ्राण शक्ति की नई कहानी
बदबू लगती खुशबू जैसी
बैठ के सूंघे राजा रानी
दिल्ली में तो आग लगी है
नहीं आँख में इसके पानी
एक नहीं कितने दुस्सासन
सब ने है अपनी ही ठानी
लंका भी है शर्म सार अब
देख नई अब रावण रजधानी
सारे रावण दिल्ली पहुचें
सुनो रोज नई हरण कहानी
माँ ममता निर्वसन हो गई
सूखी आँखे, नहीं है पानी
रोज हरण का खेल हो रहा
अँधा राजा बहरी रानी
कहीं खेल में खेल हो रहा
सब ने है खाने की ठानी
जेल में बैठा है एक राजा
ख़त्म हुई अब राम कहानी
इधर देश की मर्यादा है
उधर तो है निर्वस्त्र कहानी
करें खेल सब "दस जन" मिलकर
दस जनपथ में हँसती रानी
सारे गिद्द्घ हैं दिल्ली पहुँचे
लाशें हैं सब जानी पहचानी
बैठ के सब हैं मस्त खेल में गोट बिछाते राजा रानी
आग लगी है देश में सारे
दिल्ली में तो बरसा पानी
बच्चे सारे रो रो कहते
घग्घो रानी कितना पानी
चोर सिपाही एक हो गए
नहीं आँख में इनके पानी
इज्जत रोज यहाँ है लुटती
खेल करें मिल राजा रानी
खोल कान अब बहरे तुम ,आँख खोल रे अंधे
मल ले अपने मुह पे तूँ ,अब कोयला व पानी
करम तूँ अपने देख तो भाई ,मत बन अज्ञानी
जायेगा तूँ नरक में ही अब ,सुन मेरी यह बानी
मधु "मुस्कान"""
वाह आदरणीया मधु जी बेहतरीन जोरदार असरदार रचना हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंआज तो आदरेया
जवाब देंहटाएंबड़े आक्रोश में हैं-
सटीक प्रभावी=
शिल्प और भाव की दृष्टि से भी महत्पूर्ण
सादर
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंदिल्ली की कहानी अजब भी है और ग़ज़ब भी!
दिल्ली की है अजब कहानी .मेवों में अखरोट दिल के लिए सबसे अच्छा दो अखरोट रोज़ खा सकतें हैं पांच दस बादाम .दोनों बेडकोलेस्ट्रोल को कम करते हैं .आभार आपकी ताज़ा टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंदिल्ली की काली करतूतों का रोजनामचा है यह रचना .
जवाब देंहटाएंप्रभावी,बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: गुलामी का असर,,,