रमकली के पेट में
रमकली के पेट में , है जिसका बच्चा पल रहा
बैठ भेड़िये के खाल में ,खैनी हाथ में है मल रहा
कितनी बेटिओं को वह दरिंदा, रोज ही था छल रहा
खेत था सरपंच का ,बगीचा उसका पास में था फल रहा
रमकली को देख ,रोज अपना हाथ था वह मल रहा
एक दिन बन भेड़िया , वह था घात में बैठा वहीं
रमकली का जिश्मका था हर रोज उसको छल रहा
निकल खेत से वह ज्यों हीं , दो कदम आगे चली
देख उसको पास अपने कुछ तेज गति से वह बढ़ी
दो कदम भी न वह बढ़ आगे सकी थी सरपंच के
तभी, उस अभागन पर नजरें पड़ गईं सरपंच की
देखते ही देखते,खींच उसको बाँहों में अपने भर लिया
छटपटाई वह मगर , पर काबू में उसको कर लिया
उस भेड़िये सरपंच का चेहरा खिल गया उल्लास से
पर , रमकली के जिश्म का कौमार्य सारा जल गया
है , कहानी यह नहीं सिर्फ रमकली के ही गाँव की
हर गाँव में सरपंच हैं , है कहानी मुल्क के हर गाँव की
1.सरपंच - सत्तासीन व्यक्ति या शक्ति संपन्न व्यक्ति
2.रमकली -एक काल्पनिक नाम
मधु "मुस्कान"
1.सरपंच - सत्तासीन व्यक्ति या शक्ति संपन्न व्यक्ति
2.रमकली -एक काल्पनिक नाम
मधु "मुस्कान"
सशक्त व प्रभावशाली ...
जवाब देंहटाएंसादर !
पञ्च करे सरपंच घर, `पार्टी बड़ी विशाल ।
जवाब देंहटाएंपैदा होता आज ही, रखनी के घर लाल ।
रखनी के घर लाल, खाल जिसका वो खींचे ।
आज जन्मती पूत, वृक्ष बंशी वह सींचे ।
वह जुल्मी सरपंच, आज सर पर ले घूमे।
नालायक इस बार, चरण रखनी के चूमें ।।
behtreen rachna....
जवाब देंहटाएंसशक्त,बेहतरीन प्रभावी रचना,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
खापी /खापिये इन्हें ही पालें हैं .मासूम प्रेमियों पे बर्बर जुल्म ढाते हैं .बेहतरीन भाव रचना लम्पट चरित्र की .आभार आपकी टिपण्णी का .बेहतरीन लेखन के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , एक सच बयां करती रचना !
जवाब देंहटाएंसच को कहती सशक्त रचना
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