रविवार, 4 नवंबर 2012

8. मधु सिंह: पागल

     

    पागल 
जब  से  तुमसे   प्यार  किया  है  
हर वख्त  ही मैं  खोई  रहती हूँ 

दर्द प्यार का, इतना गहरा होगा
मै छुप-छुप बस  रोती  रहती हूँ 

क्यों  दूर  गये,  क्यों  भूल  गये 
बन  आँसूं  बस  बहती  रहती हूँ


प्यार की चाहत,  चाह- चाह  कर 
मत पूछों, मर-मर जीती रहती हूँ 

कहते हैं प्यार बहुत मीठा होता है 
मै  तो  बस यूँ हीं  तड़पा  करती हूँ

अश्रु  बूंद की  बन-बन   सरिता 
अबिरल, उर मध्य बहा करती हूँ 

आ जाओ मेरी  बाँहों में अब तुम 
बस यही सपन मै  देखा करती हूँ 

कब आओगे तुम कुछ तो कह दो 
बन  पागली बस फिरती रहती हूँ  

पागलपन  की  हद से गुजर कर
मत पूछों मै कैसे जीती  रहती हूँ 


                          मधू "मुस्कान"      

 




26 टिप्‍पणियां:

  1. BEHAD KHOOBSHOORAT GAZAL, कब आओगे तुम कुछ तो कह दो
    बन पागली बस जीती रहती हूँ

    पागलपन की हद से गुजर कर
    मत पूछों मै कैसे जीती रहती हूँ

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  2. प्रेम पगी पंक्तियाँ ...... मन की व्यथा कथा लिए सरल भाव.....

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  3. Bhartiy nari me chupi samarpan ko bkhubi vya karti gazal,realyy very nice


    अश्रु बूंद की बन-बन सरिता
    अबिरल, उर मध्य बहा करती हूँ

    आ जाओ मेरी बाँहों में अब तुम
    बस यही सपन मै देखा करती हूँ

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 07/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  6. बेपनाह दीवानगी को उड़ेला है आपने अपनी इस रचना में | अपने ब्लॉग की फीड जरूर लगाएं ताकि हमें आपकी नयी रचनाओं की सूचना मिलती रहे |

    टिप्स हिंदी में

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  7. दर्द प्यार का, इतना गहरा होगा
    मै छुप-छुप बस रोती रहती हूँ

    .....दिल को छूती बहुत मर्मस्पर्शी रचना...शब्दों और भावों का बहुत सुन्दर संयोजन...

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  8. कुछ कुछ प्रतिपल ढूंढती सी रहतीं हैं आपकी समेटने को आतुर जीवन को .20 घंटे के हवाई सफ़र ने दूर रखा आभासी जग से , अपने अंतर से .

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  9. कब आओगे तुम कुछ तो कह दो

    बन पगली बस फिरती रहती हूँ

    कुछ कुछ प्रतिपल ढूंढती सी रहतीं हैं आपकी रचनाएं समेटने को आतुर जीवन सरिता को .20 घंटे के हवाई सफ़र ने दूर रखा आभासी जग से , अपने अंतर से .

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  10. पागलपन की हद से गुजर कर
    मत पूछों मै कैसे जीती रहती हूँ...........jee nahin poonchhenge.best of luck.

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  11. प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति.......

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  12. वाह ||
    क्या खूब रचना है...
    प्रेम की पराकाष्ठा.. अति सुन्दर
    अभिव्यक्ति...
    :-)

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  13. शब्द और भाव का खूबसूरत संयोजन!!!

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  14. वाह...
    बहुत बहुत प्यारी रचना....
    सुन्दर!!

    अनु

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  15. मोहब्बत का आगाज़ ,दिल की जुबाँ होती हैं आँखें ,

    मौत का पैगाम होतीं हैं आँखे ,आपकी टिप्पणियाँ जान हैं लेखन की शान हैं .आभार ,आभार .

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  16. ये जो प्रेम है बड़ा उन्मादी है ,एक शैर अर्ज़ है प्रेमी की मनोदशा पे -

    जब तबीयत किसी पे आती है ,

    मौत के दिन करीब होतें हैं .

    आप जिनके करीब होतें हैं ,

    वो बड़े खुश नसीब होतें हैं .

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  17. वाह ...बहुत बहुत प्यारी रचना....

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  18. विविध रूपा नारी द्वारा आलोकित दीप हर दम जग उजियारा KARE.

    HAPPY DIVALI.

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  19. जग उजियारा करे आपका आलोक आपका आभा मंडल निरंतर विकसे फूलें फलें आप पल्लवित होवें दिवाली पर .शुभ दिवाली .

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