रविवार, 16 दिसंबर 2012

25.Madhu Singh:Garahyee mohabbat ki



         गुमशुदा

        शख्स जो चला  था  नापने  गहराई  मेरे मोहब्बत की 
          है मुद्दतों से गुमशुदा वो अब तलक वापस न आ सका 
                                 
                                                                                                                                                                                        मधु"मुस्कान"
 

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है

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  2. बहुत खूब मधु जी .क्या नूर है क्या जलवा है ये ग़ज़ल है की बेहद हसींन आपका का जलवा है

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  3. बस इतना ही, या कुछ और भी है जो किसी लिंक पर क्लिक करने से दिखाई देगा।

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  4. दो शब्दों में,गहराई जो नापी न जा सके.
    मुहब्बतों की बात ही कुछ ऐसी है.

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  5. अप्रतिम रचना .शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .

    गुमशुदा

    शख्स जो चला था नापने गहराई मेरे मोहब्बत की
    है मुद्दतों से गुमशुदा वो अब तलक वापस न आ सका

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