शनिवार, 19 जनवरी 2013

46.मधु सिंह : तमासा देखिये


   तमासा  देखिए 


   सर  ले  कर  पावँ  तक  पूरा  खुलासा  देखिए 
   हुश्न  की  बेपर्दगी  का  नंगा  तमासा  देखिए 

   आज  की तहज़ीब  की दरिया दिली तो देखिए  
   माँ  बहन के  नाम पर गाली की  भाषा देखिए

    हैं, हो  गईं  नश्लें हमारीं किस कदर बेशर्म अब
    माँ  भारती के चेहरे  पर  छाया  कुहासा देखिए 

    है  मचा एक शोर इस मुल्क में अब चारो तरफ़ 
    माँ बेटिओं पे ज़ुल्म का घटिया  तमासा देखिए 

    नज़रें हमारे देश की हैं जा टिकीं अब चन्द्रमा पर
    घर में बैठे चाँद के चेहरे पे छाई   निरासा देखिए 

    नग्नता की छावं में  है पल रही अब  युवा पीढ़ी 
    गिद्ध  जैसी   घूरती  आँखों  की   भाषा   देखिये 

     घर  से  लेकर घाट तक  जिन्दगी  है  जल रही 
     ज़िदगी तो मर गई  है मौत  की  हतासा देखिए "

     है  लगी जो आग  है माँ  भारती  के तन बदन में
    हो सके तो रोकिये ,बरना घर घर तमासा देखिए 

  

                                                  मधु "मुस्कान"""
   

     


 

  

11 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी रचना,
    समाज को आइना दिखाती तल्ख बातें

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  2. .बहुत सटीक अभिव्यक्ति है विचार अर्थ की,आज के सन्दर्भ की कुटिल परिवेश की .तमाशा नहीं हताशा है ,अवसाद है बे -पर्दगी ,मर्द्नुमा शैतान ,अपकर्ष है संस्कृति का गाली गलौच का .

    हैं, हो गईं नश्लें हमारीं किस कदर बेशर्म अब(नस्लें )
    माँ भारती के चेहरे पर छाया कुहासा देखिए

    है मचा एक सोर इस मुल्क में अब चारो तरफ़ (शोर )
    माँ बेटिओं पे ज़ुल्म का घटिया तमासा देखिए (तमाशा )

    नज़रें हमारे देश की हैं जा टिकीं अब चन्द्रमा पर
    घर में बैठे चाँद के चेहरे पे छाई निरासा देखिए (निराशा )

    हताशा ,हताशा ,हताशा ........




    ,कृपया इसी



    सन्दर्भ में

    यह भी पढ़िए -

    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ?http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/01/blog-post_1932.html …
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    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ रविवार, 20 जनवरी 2013 .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ? http://veerubhai1947.blogspot.in/
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  3. हाँ जी आज हमने आपको ढूंढ लिया आपकी खूब सूरत रचनाओं के मार्फ़त .आप गूगल पर शेयर नहीं कर रहीं थीं काफी अरसे से इसीलिए पहुँच न सके आज खुलकर पीछे आगे की सभी रचनाओं को

    मनोयोग से पढ़ा भी है गुना भी है .प्रेम के बहुरूपा रंग लिए हैं आपकी रचनाएं और श्रृंगार के संयोग /वियोग दोनों सशक्त .शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .

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  4. सर मुंडाते ही ओले पड़े .टिपण्णी स्पेम में जा रहीं हैं .लम्बी टिपण्णी की थी इस रचना पे .

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  5. है लगी जो आग है माँ भारती के तन बदन में
    हो सके तो रोकिये ,बरना घर घर तमासा देखिए

    सटीक व सार्थक ,,,,
    सादर !

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  6. मैडम मधु जी !गृह मंत्री, भारत सरकार तो अब 'भारत धर्मी समाज 'को ही' कश्मीरी पंडित' बनाने पर आमादा है .आप भारत धर्मी समाज को पहले संकुचित अर्थों में 'हिन्दू' कहतें हैं फिर हिन्दू

    संगठन

    फिर

    आतंकवादियों का प्रशिक्षण स्थल . .पूर्व में उपाध्यक्ष कांग्रेस राहुल गांधी भी हिन्दू आतंकवाद को जिहादी आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक बतला चुके हैं .इन अभागे सेकुलरों को नहीं मालूम -जिहादी

    का धर्म क्या होता है .जिहादी इस्लाम की श्रेष्ठता के कायल हैं जो मुसलमान नहीं है इस्लाम को नहीं मानता वह काफिर है सर कलम कर दो उसका यही फरमान है इनका .फतुवा खोर नहीं हैं हिन्दू

    और वृहद् हिन्दू समाज बोले तो भारत धर्मी समाज .हम बिलकुल नहीं कहते मुस्लमान आतंकी हैं अलबत्ता जो भी आतंकी पकड़ा जाता है मुसलमान ही निकलता है .हिन्दू आतंक प्रोएक्टिव पालिसी

    नहीं हैं छिटपुट प्रतिक्रिया है मिस्टर टिंडे .

    वह वक्र मुखी भोपाली बाज़ीगर फिर बोला है कहता है मैं जो बात दस सालों से कह रहा हूँ ,गृह मंत्री आज कह रहें हैं .यही ढोंग है जयपुर चिंतन शिविर का .

    शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का

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  7. आपने हमारी टिप्पणियाँ स्पेम से नहीं निकालीं अनिल मधु जी १९५३ जी .

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  8. ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 21 जनवरी 2013
    चिंतन शिविर का ढोंग
    चिंतन शिविर का ढोंग (पहली क़िस्त )

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  9. वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य को बेनकाब करती सुन्दर
    प्रस्तुति

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