शनिवार, 27 दिसंबर 2014

मधु सिंह : जन्नत से इक परी मेरे घर में उतर आई है



 मैं तो नानी बन गई
                        


  

                    



जन्नत से  इक परी   मेरे घर   में उतर आई है
मेरे  दिल  के   दरीचे  में  बज  रही  शहनाई  है

महताब   सा  चेहरा  है    होठों  पे  तबस्सुम
दिल  के   सहन   पे  खुशिओं की सहर आई है   

इक फूल की  कली से  मेरा  घर हुआ है रौशन
मेरे ख्वाबों के चमन में तितली सी उतर आई है

खुशिओं  का  खज़ाना  है ,परिंदा है मेरे दिल का
इक  हसीन धड़कन मेरे आंगन में गुनगुनाई है

 वो   अल्लाह   की  दुआ  है वो  मेरी तमन्ना है
 इक  सौगात  ख़ुदा  की  मेरे घर में उतर आई है

महका   हुआ गुलशन  है खुशबू है  फ़ज़ाओं  में 
बादे सबा की  खुशबू   मेरे दिल में उतर आई  है 

इक  खूशबू  सी बिखरी  है ज़मी से फलक  तक
रिश्ते की  सौगात  नई मेरे घर में उतर आई  है 



                                                          मधु "मुस्कान"


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