गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

60. मधु सिंह : शौहर वीवी को लड़वा डाला

            शौहर वीवी को लड़वा  डाला  

          खेल गणित का बड़ा निराला ,जीवन  को  आहत कर डाला 
          आड़ी तिरछी रेखाओं  सा ,बन  गया आज  विष का प्याला 

         कभी सुलझता कभी उलझता ,पल- पल है  यह कोण बदलता
         हो गया आज लघु कोण सरीखे ,विष मिश्रित जैसी हो  हाला

         विस्तार नहीं  संकुचन हो गया , रिश्तों का जटिल प्रमेय हो गया 
         लगता जब-जब  हल कर डाला ,बन  उलझी  मकड़ी  का  जाला   

          बृहत्  नहीं  लघु कोण हो गया ,त्रिभुज  नहीं षट्कोण  हो गया 
          समझी   जिसको  सीधी  रेखा , चक्रव्यूह  बन  कर  डस डाला

           दिखती  कभी  ज्यामिती जैसी ,बन त्रिकोणमिति है यह डसती 
           लगता है इक्ल्यूड(1)का समतल , बन  बक्रीतल  उलझा   डाला 

          कभी समाकलन जैसा दिखता ,कभी अवकलन बन यह  डसता 
          हल  होता ज्यों ही  यह दिखता  ,बन  निर्मेय  जीवन  डस डाला 

          कभी  बना  यह  बड़ा  कोष्टक  . कभी  लगे  यह  जोड़ -घटाना                       
          कभी कोंण  फिर  दूरी नपवाता ,रचना  को  विकृत  कर  डाला 

         पायथागोरस  का  है  प्रमेय यह ,खेल  कठिन   है  बिंदु  बृत्त का 
         पल -पल  है  जीवन को ठगता ,बन -बन कर   मीरा  का प्याला 
   
         संसद  से  लेकर राजभवन तक , घर लेकर कर  घाट -घाट तक 
         बन  जटिल  समस्या  बहुमत का , छक्के  सबके  छुड़वा  डाला 

           है  रोज  करता  झगड़ा  - झंझट , कभी   घटाता  कभी  बढाता
          नहीं  दया  का  भाव  गणित में , सौहर -वीवी को लड्वा  डाला   

          बात  बहुत  छोटी  थी लेकिन  ,बेटी  का  था  फ्राक   फट गया                                
          बेटे  के   मोबाइल   खातिर  , वीवी  को   मैके  भेजवा   डाला 

                इकल्यूड -पृथ्वी  के समतलीय ज्यामिति  के प्रवर्तक 

                                मधु "सिंह 

     
      
       
       

       

        
         

9 टिप्‍पणियां:

  1. ये विजेट सफलतापूर्वक अपने ब्लॉग पर स्थापित करने के बाद "टिप्स हिंदी में" ब्लॉग पर टिप्पणी अवश्य दें |

    जीवन और गणित के पारिभाषिक शब्दों को बिम्ब रूप दे दिया आपने ,सुन्दर रूपकात्मक अभिव्यक्ति .सशक्त भाव विचार लिए .

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  2. रचना में गणित के शब्दों को बिम्ब बनाकर,प्रभावी अभिव्यक्ति दी है,,,बधाई,,,

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

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  3. बहुत खूब .जिंदगी को गणित की दृष्टी से देखने का नायाब प्रयास . सुन्दर प्रस्तुति

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  4. उत्तर
    1. समाकलन गम का किया, हो काया अवकलित ।

      वृत्त-वृहत्तर दिख रहीं, कई कलाएं ललित ।

      कई कलाएं ललित, फलित ज्योतिष विचराया ।

      विगड़ गया भूगोल, फैक्टर फिर समझाया।

      जोड़ जोड़ में दर्द, गुणक घातांक मारता ।

      भाग भाग दुर्भाग्य, माइनस हुआ हारता ।।

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  5. बहुत बढ़िया 'गणितात्मक' रचना ... :)
    ~सादर!!!

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  6. शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए .

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  7. अच्छी रचना....परन्तु यह शब्द मेरे विचार से ...शौहर .है...सौहर नहीं ...

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